साक्षात्कार का अर्थ,परिभाषा, उद्देश्य,महत्व एवं प्रकार

    साक्षात्कार का अर्थ 

    ‘Interview' शब्द फ्रैंच भाषा के शब्द 'Entrevoir' से लिया गया है। इसका अभिप्राय एक-दूसरे से है। जब आवेदकों के आवेदन-पत्रों की जाँच हो जाती है तो उसके पश्चात् आवेदकों को प्रारम्भिक साक्षात्कार के लिये जाता है। इसके द्वारा यह पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है कि आवेदक मानसिक एवं शारीरिक रूप से उस पद के योग्य है अथवा नहीं? इसके अन्तर्गत सामान्यतः आवेदक की रुचि, आयु, अनुभव, शिक्षा इत्यादि से सम्बन्धित सामान्य प्रश्न पूछे जाते हैं। जब कोई आवेदक साक्षात्कार में सफल हो जाता है तो उसे रिक्त आवेदन-पत्र भरने के लिये दिये जाते हैं। साक्षात्कार में प्रश्नों के माध्यम से सूचनाएँ प्राप्त करने के लिये आपस में परिचय किया जाता है। साक्षात्कार एक संगठन की गतिविधियों में से एक मुख्य अंश होता है। यह नौकरी के लिये आवेदकों का मूल्यांकन करने के लिये आयोजित किये जाते हैं।

    परिभाषायें 

    एच. पी. यंग के अनुसार- “साक्षात्कार क्षेत्रीय कार्य की एक विशेष तकनीक है, जिसका प्रयोग किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के व्यवहार को देखने, उनके कथनों को लिखने तथा सामाजिक अथवा अन्तः क्रिया के स्पष्ट परिणामों का अध्ययन करने के लिये किया जाता है।"

    वी. एम. यामर के अनुसार- “साक्षात्कार दो व्यक्तियों के मध्य पायी जाने वाली एक विशेष सामाजिक परिस्थिति है जिसमें एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत दोनों व्यक्ति परस्पर उत्तर प्रतिउत्तर करते हैं।" 

    उचित परिभाषा (Suitable Definition )- "साक्षात्कार तथ्यों के संकलन की एक ऐसी विशिष्ट संचार प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत दोनों पक्ष एक-दूसरे से प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा सम्बन्धित विषय पर वार्तालाप करते हैं एवं उत्तर प्रतिउत्तर देते हैं।"

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    साक्षात्कार की विशेषताएँ

    1. साक्षात्कार औपचारिक संचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    2. साक्षात्कार प्रक्रिया के अन्तर्गत दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान आमने-सामने बैठकर किया जाता है।

    3. साक्षात्कार से पहले प्रदत्त सूचनाओं की प्रामाणिकता तथा विश्वसनीयता में वृद्धि हो जाती है।

    4. साक्षात्कार उद्देश्य पूरक होता है तथा इसके उद्देश्यों की जानकारी दोनों पक्षों को होती है।

    5. साक्षात्कार के द्वारा आवेदक अथवा साक्षात्कारी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में पता लगाया जा सकता है।

    6. साक्षात्कार के समय दोनों पक्ष मानसिक रूप से तैयार होते हैं, क्योंकि समस्त साक्षात्कार पहले से ही नियोजित होते हैं।

    साक्षात्कार के उद्देश्य

    1. आवेदक के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करना। 

    2. आवेदक को संस्था के विषय में जानकारी देना तथा उसे संस्था के मुख्य उद्देश्यों से अवगत कराना।

    3. आवेदक को अपनी योग्यताएँ तथा गुण दिखाने का व्यक्तिगत अवसर प्रदान करना।

    4. साक्षात्कार विपणन उद्देश्य के लिए बाजार अनुसन्धान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    5. साक्षात्कार के द्वारा कोई भी नवीन जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

    6. साक्षात्कार का उद्देश्य अतीत की घटनाओं का सत्यापन करना भी होता है।

    7. साक्षात्कार के द्वारा गुणात्मक तथ्यों की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

    8. साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करना है। इस जानकारी को गोपनीय भी रखा जा सकता है या सार्वजनिक भी रखा जा सकता है।

    साक्षात्कार के लिये प्रस्तुति 

    1. आवेदक को साक्षात्कार के लिये तैयारी करनी चाहिए। 

    2. आवेदक जिस कम्पनी अथवा संस्था में साक्षात्कार के लिए जा रहा है वहाँ के बारे में उसे अच्छी तरह जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए- 

    (i) उस कम्पनी की कार्य-प्रणाली किस प्रकार की है?

    (ii) कम्पनी कौन-सा व्यवसाय कर रही है?

    (iii) कम्पनी कैसा व्यवसाय कर रही है ?

    (iv) कम्पनी की आर्थिक स्थिति कैसी है?

    (v) कम्पनी की राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्थिति कैसी है?

    (vi) कम्पनी के अन्य पदाधिकारियों की स्थिति किस प्रकार की है? 

    3. आवेदक को साक्षात्कार का समय तथा दिनांक अच्छी तरह याद रखना चाहिए।

    4. आवेदक को साक्षात्कार के समय से थोड़ा पहले साक्षात्कार के स्थान पर पहुँचना चाहिए।

    5. आवेदक को अपनी योग्यता तथा अनुभव से सम्बन्धित मूल प्रमाण-पत्र तथा अपने शैक्षिक प्रमाण-पत्र तथा उनकी फोटोस्टेट प्रति अवश्य ही अपने साथ ले जानी चाहिए। 

    6. आवेदक को अपना आत्म-सार (Bio Data) भी अवश्य साथ ले जाना चाहिए। इस आत्म-सार में निम्नलिखित सूचनाएँ होती है-

    (i) व्यक्तिगत तथा पारिवारिक सूचनाएँ-

    (a) आवेदक का नाम, 

    (b) आवेदक का आयु,

    (c) आवेदक का पता,

    (d) आवेदक की लम्बाई,

    (e) आवेदक की वैवाहिक स्थिति, 

    (f) आवेदक की राष्ट्रीयता,

    (g) आवेदक का लिंग,

    (h) आवेदक पर निर्भर व्यक्तियों की संख्या, 

    (i) आवेदक के माता-पिता के नाम व पते,

    (j) आवेदक के स्कूल, कॉलेज के नाम व पते

    (ii) योग्यताएँ-

    (a) शैक्षणिक योग्यताएँ

    (b) तकनीकी योग्यताएँ.

    (c) प्रशिक्षण,

    (d) कार्यानुभव,

    (e) भिन्न-भिन्न भाषाओं का ज्ञान एवं उसका स्तर इत्यादि 

    (iii) अनुभव-

    उस कम्पनी अथवा संस्था का जहाँ वह पहले से काम कर रहा है।

    (iv) आय का विवरण- 

    इसमें आवेदक के द्वारा पिछले कार्यों से प्राप्त होने वाले वेतन, भत्ते तथा सुविधाओं की जानकारी दी जाती है तथा साथ ही अपेक्षित वेतन की भी जानकारी दी जाती है।

    साक्षात्कार के गुण

    साक्षात्कार के सामान्य गुण निम्नलिखित हैं-

    1. यह निर्धारण उद्देश्य के लिए किये जाते हैं और यह उद्देश्य दोनों अर्थात् साक्षात्कार लेने वालों व देने वालों दोनों को स्पष्ट होता है।

    2. दोनों पक्षों को सम्प्रेषण घटना की तैयारी या पूर्व-अभ्यास आवश्यक होता है।

    3. सभी साक्षात्कार पूर्व निर्धारित होते हैं।

    4. साक्षात्कार में कम से कम पक्ष या प्रतिभागियों का होना अनिवार्य है परन्तु सामान्य रूप से एक साक्षात्कार देने वाला कई साक्षात्कार लेने वालों का सामना करता है। 

    5. इसमें सम्प्रेषण का स्वच्छ आदान-प्रदान होता है सम्प्रेषित सूचनाएँ गोपनीय भी हो सकती हैं और नहीं भी।

    साक्षात्कार का महत्व

    1. साक्षात्कार प्रणाली एक लोचपूर्ण प्रणाली है अर्थात् इन्हें आवश्यकतानुसार कम तथा अधिक किया जा सकता है।

    2. अधिकांश पद पर नियुक्ति साक्षात्कार के द्वारा ही होती है।

    3. इस प्रणाली में साक्षात्कार कर्ता तथा आवेदक दोनों के विचारों का आदान-प्रदान होता है।

    4. यह प्रणाली अत्यधिक विश्वसनीय है।

    5. साक्षात्कार के द्वारा आवेदक को भूतकालीन घटनाओं के बारे में पता लगाया जाता है। 

    6. साक्षात्कार के माध्यम से आवेदक की योग्यता का पता चलता है।

    7. इस प्रणाली द्वारा अदृश्य और अमूर्त घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

    8. यह प्रणाली सूचनाओं के संकलन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

    साक्षात्कार की सीमाएँ

    1. साक्षात्कारकर्ता के लिए मौखिक बातें याद रखना अत्यन्त कठिन है। 

    2. साक्षात्कारकर्ता द्वारा दी गयी जानकारी अपूर्ण होती है।

    3. साक्षात्कार एक महँगी पद्धति है।

    4. बड़े अध्ययन- क्षेत्र के लिए साक्षात्कार उचित नहीं होता।

    साक्षात्कारक के लिए मार्ग-दर्शक तत्व

    1. साक्षात्कार के उद्देश्यानुसार उचित प्रश्नावली का गठन करना चाहिए।

    2. साक्षात्कार सुविधाजनक वातावरण में लिया जाना चाहिए।

    3. साक्षात्कार के लिए पहले आवण्टित समय का साक्षात्कारक द्वारा दृढ़तापूर्वक पालन किया जाना चाहिए।

    4. साक्षात्कारक को आवेदक द्वारा दी गयी सूचनाओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए। 

    5. साक्षात्कारक को साक्षात्कार के समय साक्षात्कारी पर अपना सम्पूर्ण ध्यान देना चाहिए। 

    6. साक्षात्कारक को साक्षात्कारी के विचार ध्यानपूर्वक सुनने चाहिए।

    7. साक्षात्कारक को स्वयं साक्षात्कार से सम्बन्धित कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।

    साक्षात्कारी के लिए मार्ग-दर्शक तत्व

    1. साक्षात्कारी को बिना संकोच किए किसी प्रश्न का स्पष्टीकरण प्राप्त कर लेना चाहिए।

    2. साक्षात्कारी को सत्य तथा मधुर बोलना चाहिए।

    3. साक्षात्कारी में विनम्रता का गुण होना चाहिए। 

    4. साक्षात्कारी द्वारा प्रश्नों का सही पूर्ण एवं उचित उत्तर जाना चाहिए।

    5. साक्षात्कार के समय साक्षात्कारी को प्रश्नों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए।

    6. साक्षात्कारी को साक्षात्कार देते समय आवश्यकतानुसार दैहिक भाषा का मिश्रण करना चाहिए।

    7. साक्षात्कार से पूर्व साक्षात्कारी को स्वयं को मानसिक तथा भौतिक रूप से पूर्ण तैयार होना चाहिए।

    साक्षात्कार के प्रकार

    साक्षात्कार को निम्नलिखित आठ श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

    1. रोजगार सम्बन्धी साक्षात्कार,

    2. उन्मुखीकरण सम्बन्धी साक्षात्कार,

    3. काउन्सलिंग सम्बन्धी साक्षात्कार,

    4. अर्थ निष्पादन सम्बन्धी साक्षात्कार,

    5. शिकायत सम्बन्धी साक्षात्कार,

    6. संशोधन सम्बन्धी साक्षात्कार,

    7. निर्गम सम्बन्धी साक्षात्कार,

    8. सूचना संग्रहण सम्बन्धी साक्षात्कार।

    साक्षात्कार की संरचना

    प्रत्येक सम्प्रेषण घटना में साक्षात्कार की एक परिभाषित संरचना होती है। हम कह सकते हैं कि साक्षात्कार एक औपचारिक सम्प्रेषण की घटना है जिसका उद्देश्य तथा प्रतिफल दोनों पक्षों को ज्ञात होता है। दोनों पक्षों को निम्न स्थितियों में पारस्परिक सावधानी लेनी होती है-

    (i) प्रारम्भिक (Opening), 

    (ii) मध्य (The Body / Middle ) एवं 

    (iii) अन्त (Closing ) । 

    उपर्युक्त तीनों अवस्थाओं के लिए प्रभावशील सम्प्रेषण कुशलता का होना आवश्यक है जो निम्नलिखित है-

    (i) प्रारम्भिक आरम्भ (Opening / Start )

    (a) परिचय,

    (b) मिलने के उद्देश्य का कथन,

    (c) अन्य व्यक्ति को दिलासा या सन्तोष देना,

    (d) माहौल को आरामदेह बनाना।

    (ii) मध्य (Middle or the Body)

    (a) सम्प्रेषण के आदान-प्रदान का उद्देश्य,

    (b) बिन्दुवार चर्चा करना,

    (c) संयम व सावधानीपूर्वक सुनना,

    (d) आँखों से आँखों का सम्पर्क बनाना,

    (e) सावधानीपूर्वक / निर्भयतापूर्वक उत्तर देना, 

    (f) विषय-वस्तु को समाहित करना,

    (g) अवरोधों से सावधान रहना,

    (h) यदि आवश्यक हो तो स्पष्टीकरण देना।

    (iii) समाप्ति / अन्त ( Closing )

    (a) चर्चा को अन्तिम रूप देना/ सूचनाओं का आदान-प्रदान, 

    (b) अपने अभिमत देना,

    (c) आकस्मिक अन्त को रोकना,

    (d) अनुकूल टिप्पणी द्वारा समाप्ति,

    (e) साक्षात्कार के लिए धन्यवाद ज्ञापन,

    (f) साक्षात्कार की उपयुक्तता की पुष्टि करना।

    साक्षात्कार आयोजन कैसे किया जाये ?

    साक्षात्कार के सफल आयोजन के लिए निम्न बातों का होना आवश्यक है--

    1. प्रथमतः साक्षात्कार लेने वाले को सम्पूर्ण घटना की योजना बनानी चाहिए। 

    2. प्रायः साक्षात्कार देने वाला उत्तर देने में अधीर हो जाता है, अतः उसके लिए आरामदेह स्थिति को निर्मित करना क्योंकि उदास/अधीर व्यक्ति के पास साक्षात्कार के लिए उचित या अनुकूल विषय नहीं होते। अतः साक्षात्कार लेने वाले को सर्वप्रथम एक मित्रवत् माहौल निर्मित करना चाहिए, साथ ही साथ उसे साक्षात्कार देने वाले की पारिवारिक पृष्ठभूमि का परिचय लेना चाहिए। तत्पश्चात् विषयगत प्रश्नों को पूछना उचित होगा।

    3. साक्षात्कार लेने वाले को उद्देश्य रहित प्रश्न नहीं करना चाहिए। अतः विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नों को पूछना अनुकूल वातावरण को निर्मित करता है।

    4. प्रायः कुछ साक्षात्कार लेने वाले सम्पूर्ण साक्षात्कार प्रक्रिया में स्वयं ही बोलते रहते हैं अतः उनका उद्देश्य जानकारी देना नहीं बल्कि उम्मीदवार से जानकारी प्राप्त करना होता है, अतः केवल निर्देश की दृष्टि से साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति का बोलना सफल साक्षात्कार के लिए उपयुक्त होगा।

    5. साक्षात्कार लेने वाले को अपनी पूर्व निर्धारित योजना के अनुरूप ही सम्पूर्ण साक्षात्कार का आयोजन करना चाहिए।

    6. कुछ साक्षात्कार इसलिए असफल होते हैं क्योंकि उम्मीदवार ध्यानपूर्वक नहीं सुनता बल्कि अनावश्यक अवरोध पैदा करता है। ध्यानपूर्वक सुनने से साक्षात्कार लेने वाला आराम महसूस करता है और अधिक जानकारी लेना चाहता है।

    7. एकल साक्षात्कार के लिए आवश्यक है कि आँखों का सम्पर्क बना रहना चाहिए। उचित समय पर मुस्कराने / सहमति व्यक्त करने सम्बन्धी क्रियाएँ आवश्यक हैं।

    8. साक्षात्कार लेने वाले को उम्मीदवार की भावनाओं / संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए।

    9. साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति को साक्षात्कार के दौरान सूचनाओं का संग्रहण करना चाहिए। 

    10. सम्पूर्ण साक्षात्कार प्रक्रिया में 'Be Concise' सिद्धान्त का प्रयोग उचित होगा। विचार-विमर्श को अनियन्त्रित नहीं होने देना चाहिए। अतः तर्क-वितर्क की स्थिति पर नियन्त्रण आवश्यक है।

    सफल साक्षात्कार देने के दिशा-निर्देश

    साक्षात्कार देने के दिशा-निर्देश निम्नलिखित है-

    1. साक्षात्कार के लिए तैयार रहना (Ready for Interview ) 

    उम्मीदवार ने जिस पद के लिए आवेदन किया है, उसे उस पद के साथ-साथ सम्बन्धित संगठन की प्रकृति, इतिहास, वर्तमान गतिविधियाँ इत्यादि के सम्बन्ध में मालूम होना चाहिए। पद से सम्बन्धित क्षेत्र/विषय के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी अनिवार्य है। इन सब बातों का ज्ञान साक्षात्कार लेने वालों पर प्रभाव डालता है।

    2. व्यक्ति की बाह्य आकृति (Appearance )

    साक्षात्कार के लिए व्यक्ति की बाहरी आकृति सन्देश को सम्प्रेषित करने का एक हिस्सा है। औपचारिक साक्षात्कार के लिए औपचारिक कैस होना अनिवार्य है। 

    3. शारीरिक भाषा का प्रभावशाली प्रयोग (Effection use of Body Language) 

    साक्षात्कार के समय आँखों से आँखों का सम्पर्क उम्मीदवार को सक्रिय भागीदारी को स्पष्ट करता है। उम्मीदवार को सही, आत्म-विश्वासपूर्ण भाव, सीधे व सन्तुलित रूप से कुर्सी पर बैठना चाहिए। इस प्रकार की शारीरिक भाषा अनुकूल वातावरण निर्मित करती है।

    4. प्रत्येक प्रश्न का सही व सम्पूर्ण उत्तर देना (Complete and Correct Answering every Questions)

    साक्षात्कार के उम्मीदवार के लिए प्राथमिक उद्देश्य सूचनाओं का आदान-प्रदान प्रभावी तरीके से किया जाता है।

    5. उम्मीदवार द्वारा किसी प्रश्न का उत्तर सही न होने की स्थिति में आत्मविश्वास बनाये रखना चाहिए। गुमराह करना उसके लिए हानिकारक होगा। सदैव ईमानदारी बरतनी चाहिए। 

    6. शिष्टता प्रत्येक दशा में अनुकूल वातावरण निर्मित करती है।

    7. अधिक बोलना नहीं चाहिए क्योंकि साक्षात्कार लेने वाला अधिक होशियार होता है और वह पद के लिए होशियार व उचित उम्मीदवार की तलाश में रहता है।

    8. आलोचना से बचना चाहिए चाहे वह पूर्व नियोक्ता या संगठन की हो।

    9. साक्षात्कार लेने वाले व्यक्तियों को धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए। यह आपके साक्षात्कार को अनुकूलता प्रदान करती है।

    10. साक्षात्कार देने वाले व्यक्ति को कभी भी संगठन व उससे सम्बन्धित अन्य जानकारी पूछने में संकोच नहीं होना चाहिए क्योंकि यह आपकी जिज्ञासा को ही नहीं बल्कि संगठन के प्रति आपकी रुचि व आपकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

     महत्वपूर्ण बिन्दु -IMPORTANT POINTS 

    * साक्षात्कार तथ्यों के संकलन की एक ऐसी विशिष्ट संचार प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत दोनों पक्ष एक-दूसरे से प्रत्यक्ष सम्पर्क द्वारा सम्बन्धित विषय पर वार्तालाप करते हैं एवं उत्तर-प्रतिउत्तर देते हैं। 

    * साक्षात्कार को निम्नलिखित आठ श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

    (i) रोजगार सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (ii) उन्मुखीकरण सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (iii) काउन्सलिंग सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (iv) अर्थ-निष्पादन सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (v) शिकायत सम्बन्धी साक्षात्कार,

    (vi) संशोधन सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (vii) निर्गम सम्बन्धी साक्षात्कार, 

    (viii) सूचना संग्रहण सम्बन्धी साक्षात्कार । 

    * साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य आवेदक के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी लेना एवं खोजबीन करना है। 

    * साक्षात्कार देने वाले प्रार्थी को अपनी योग्यता एवं अनुभव से सम्बन्धित प्रमाण पत्र मूल रूप में एवं उनकी फोटोस्टेट प्रति अपने साथ ले जानी चाहिए। 

    * साक्षात्कार का आयोजन आरामदायक एवं एकान्त स्थान पर किया जाना चाहिए।



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